Thursday, 8 June 2017

रघुपति राघव राजा राम.....

रघुपति राघब राजा राम,पतित पावन सीताराम ।
जय रघुनंदन जय घनश्याम,पतित पावन सीताराम ।।
भीड पडी जब भक्त पुकारे,दुर करो दुःख हमारे ।
दशरथ के घर जन्मे राम,पतित पावन सीताराम ।।

बिश्वमित्र मुनीश्वर आए,दशरथ भूप से बचन सुनाये ।
संग में भेजे लक्ष्मण राम,पतित पावन सीताराम ।।
बन में जाय ताङका मारी,चरण छुआए अहिल्या तारी ।
ऋषियों के दुःख हरते राम,पतित पावन सीताराम ।।

जनकपुरी रघुनंदन आए,नगर निवासी दर्शन पाए ।
सीता के मन भाए राम,पतित पावन सीताराम ।।
रघुनंदन के धनुष चढाया,सब राजों का मान घटाया ।
सीता ने वर पाए राम,पतित पावन सीताराम ।।

परशुराम क्रोधित हो आए,दुष्ट भूप मन में हर्षाए ।
जनक राजा ने किया प्रणाम,पतित पावन सीताराम ।।
बोले लखन सुनो मुनी ज्ञानी,संत नही होते अभिमानी ।
मीठी वाणी बोले राम,पतित पावन सीताराम ।।

लक्ष्मण बचन ध्यान मत दीजो,जो कुछ दण्ड दासको दीजौ ।
धनुष तुडईया मैँ हूँ राम,पतित पावन सीताराम ।।
लेकर के यह धनुष चढाओ,अपनी शक्ती मुझे दिखाओ ।
छुवत चाप चढाए राम,पतित पावन सीताराम ।।

हुई उर्मिला लखन की नारी,श्रुति कीर्ति रिपुसुदन प्यारी ।
हुई माण्डवी भरत के बाम,पतित पावन सीताराम ।।
अवधपुरी रघुनंदन आए,घर घर नारि मंगल गाए ।
बारह बरस बिताए राम,पतित पावन सीताराम ।।

गुरु बशिष्ट से आज्ञा लीनी,राज तिलक तैयारी कीनी ।
कल को होगे राजा राम,पतित पावन सीताराम ।।
कुटिल मंथरा ने बहकाई,कैकई ने यह बात सुनाई ।
दे दो मेंरे दो वरदान,पतित पावन सीताराम ।।

मेरी बिन्ति तुम सुन लीजो,भरत पुत्रको गद्वी दीजो ।
होते प्रातः बन भेजो राम,पतित पावन सीताराम ।।
धरनी गिरे भूप तत्काल,लगा दिल में सूल बिशाल ।
तब सुमंत बुलवाए राम,पतित पावन सीताराम ।।

राम पिताको शीश नवाए,मुख से बचन कहा नही जाए ।
कैकेयी बचन सुनायो राम,पतित पावन सीताराम ।।
राजा के तुम प्राणों प्यारे,ईनके दुःख हरोगे सारे ।
अब तुम बन में जाओ राम,पतित पावन सीताराम ।।

बन में चौदह बर्ष बिताओ,रघुनंदन रीति नीति अपनाओ ।
आगे ईच्छा तुम्हारी राम,पतित पावन सीताराम ।।
सुनत बचन राघव हर्षाए,माताजी के मंदिर आए ।
चरण कमल में किया प्रणाम,पतित पावन सीताराम ।।

माताजी मैँ तो बन जाउँ,चौदह बर्ष बाद फिर आउ ।
चरण कमल में देखूं सुख धाम,पतित पावन सीताराम ।।
सुनी शूल सम जब यह बानी,भू पर गिरी कौशल्या रानी ।
धीरज बंधा रहे श्रीराम,पतित पावन सीताराम ।।

सीताजी जब यह सुन पाई,रंग महल से नीचे आई ।
कौशिल्याको किया प्रणाम,पतित पावन सीताराम ।।
मेरी चुक क्षमा कर दीजो,बन जाने की आज्ञा दीजो ।
 सीताको सम्झाते राम,पतित पावन सीताराम ।।

मेरी सीख सिया सुन लीजो,सास ससुरकी सेवा कीजो ।
मुझको भी होगा बिश्राम,पतित पावन सीताराम ।।
मेंरा दोष बता प्रभु दीजो,संग मुझे सेवा में लीजो । अर्धागिनी तुम्हारी राम,पतित पावन सीताराम ।।

समाचार सुनी लक्ष्मण आए,धनुष बाण संग परम सुहाए ।
बोले संग चलूंगा श्रीराम,पतित पावन सीताराम ।।
       keshav Raj Adhikari

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